Sunday, 17 June 2012

प्यार करते हो


हमीं  से  प्यार  करते  हो  हमीं  से  घात   करते  हो |
वफ़ादारी की आख़िर  कौन  सी  ये  बात  करते  हो ||

झगड़ना  ,रोना  उसके  बाद  ये  घंटों  का  पछताना |
भला   पैदा   ही  एसे  आप  क्यों  हालात  करते  हो ||

शरारत   बातों -बातों  में  बताओ   तो  ज़रा  मुझको |
मेरे   ही  साथ  करते  हो  या  सबके  साथ करते  हो ||

कभी   पूरी   हुई    है   आपसे   बच्चों   की  फ़र्माइश |
यों करने को तो मेहनत आप भी दिन -रात करते हो ||

शिकायत   है   अगर  कोई   सलीक़े   से   करो  भाई |
किसी के  क्यों  अबस घायल अरे जज़्बात करते हो ||

सियासत  कोठरी  काजल की है बच  के ज़रा रहना |
इसे अब छोड़ना  अच्छा  क्यों  काले हाथ करते  हो ||

शराफ़त  की  हसीनों   से   किये    उम्मीद  बैठे  हो |
मियाँ ‘सैनी ’भला तुम भी कहाँ  की बात  करते हो ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी 

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