हमीं से प्यार करते हो हमीं से घात करते हो |
वफ़ादारी की आख़िर कौन सी ये बात करते हो ||
झगड़ना ,रोना उसके बाद ये घंटों का पछताना |
भला पैदा ही एसे आप क्यों हालात करते हो ||
शरारत बातों -बातों में बताओ तो ज़रा मुझको |
मेरे ही साथ करते हो या सबके साथ करते हो ||
कभी पूरी हुई है आपसे बच्चों की फ़र्माइश |
यों करने को तो मेहनत आप भी दिन -रात करते हो ||
शिकायत है अगर कोई सलीक़े से करो भाई |
किसी के क्यों अबस घायल अरे जज़्बात करते हो ||
सियासत कोठरी काजल की है बच के ज़रा रहना |
इसे अब छोड़ना अच्छा क्यों काले हाथ करते हो ||
शराफ़त की हसीनों से किये उम्मीद बैठे हो |
मियाँ ‘सैनी ’भला तुम भी कहाँ की बात करते हो ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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