आँख में कुछ नमी रह गयी |
टीस दिल में बची रह गयी ||
दर्द औलाद देने लगी |
परवरिश में कमी रह गयी ||
सोचने के लिए उम्र भर |
अब मेरी बेबसी रह गयी ||
और तो कुछ नहीं मेरे पास |
याद बस आपकी रह गयी ||
इश्क़ तो अब तमाशा बना |
नाम की आशिक़ी रह गयी ||
बात करते रहे वो बहुत |
बात पर काम की रह गयी ||
मुझको करके फ़ना चल दिए |
अब कमी कौन सी रह गयी ||
जो तरक्क़ी की दरख़्वास्त दी |
फाइलों में दबी रह गयी ||
सुन के ‘सैनी ’की रूदाद-ए-ग़म |
साँस सबकी थमी रह गयी ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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