Tuesday, 19 June 2012

बेबसी रह गयी


आँख में कुछ नमी  रह  गयी |
टीस दिल  में  बची  रह गयी ||

दर्द     औलाद     देने     लगी |
परवरिश में  कमी  रह  गयी ||

सोचने   के   लिए   उम्र   भर |
अब   मेरी   बेबसी  रह  गयी ||

और  तो  कुछ  नहीं  मेरे पास |
याद   बस  आपकी  रह  गयी ||

इश्क़   तो   अब  तमाशा  बना |
नाम   की  आशिक़ी  रह  गयी ||

बात    करते    रहे    वो   बहुत |
बात  पर   काम  की  रह  गयी ||

मुझको  करके  फ़ना चल  दिए |
अब कमी  कौन  सी  रह  गयी ||

जो  तरक्क़ी की दरख़्वास्त दी |
फाइलों    में    दबी   रह  गयी ||

सुन के ‘सैनी ’की रूदाद-ए-ग़म |
साँस  सबकी   थमी   रह  गयी ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी  

No comments:

Post a Comment