जज़्बा -ए-आशिक़ी अब इतने उफान पर है |
चर्चा -ए -इश्क़ मेरा सब की ज़बान पर है ||
इज़्हार मैंने सारी बातों का कर दिया है |
बस बात अब तो तेरे दीन-ओ -इमान पर है ||
तानी हुईं कमाने साधे हुए निशाने |
बेख़ौफ़ पर परिंदा अपनी उड़ान पर है ||
दम है तो शेर पर आ नीचे से वार कर तू |
बस जान तो सलामत तेरी मचान पर है ||
आदी हुए हैं अब तो सब मरने मारने के |
सामान मौत का अब हर इक दुकान पर है ||
भरता नहीं है तेरा क्या पेट अपने घर में |
जो अब निगाह तेरी सारे जहान पर है ||
ए बर्क़ तू इनायत गिरने से पहले करना |
लाखों का क़र्ज़ा बाक़ी मेरे मकान पर है ||
इल्ज़ाम मुझ पे आयद है तेरी आशिक़ी का |
आदिल का फ़ैसला अब तेरे बयान पर है ||
महफ़िल में लोग अब क्यूँ कम से लगे हैं आने |
‘सैनी ’ सुखनवरी की अब तू ढलान पर है ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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