Tuesday, 17 July 2012

हाल-ए-वतन


देखिये  वतन  का आज हाल  देखिये |
बंट  रही  है  जूतियों में  दाल देखिये ||

क़ीमतों का जिन्स की कमाल देखिये |
 रात दिन उछाल  ही  उछाल  देखिये ||

लीडरों के फ़न का अब कमाल देखिये |
बासी ये कढ़ी  ले  रही  उबाल  देखिये  ||

हो  गया  ग़रीब  और  भी  ग़रीब   अब |
नेता  हो  रहे  हैं  माला   माल   देखिये ||

काट जिसकी है नहीं किसी के पास भी |
चार  सू  बुना   हुआ   ये  जाल  देखिये ||

कब तलक गरानी दूर होगी मुल्क  की |
उठ   रहे   हैं  रोज़   ही  सवाल  देखिये ||

हो रही हैं  रोज़  ग़लतियाँ  नयी - नयी |
नीचता की नित नयी मिसाल  देखिये ||

हास्पिटलों  में सड़   रहे  मरीज़  अब |
मिहतरों  से  होती  देखभाल  देखिये ||

पार्टी ने दे दिया टिकट उसे  भी  अब |
हो गए ‘सैनी ’के गाल  लाल  देखिये ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी  

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