Monday, 2 July 2012

इतरा कर चल


बल  खा  कर  इतरा   कर चल |
थोड़ा    सा    शरमा  कर  चल ||

अपने     मादक   यौवन    की |
ख़ुशबू   को  बिखरा  कर चल ||

इन      मतवारे     नैनो    से  |
तू  मदिरा  छलका   कर चल ||

सारे      दरिया      सूखे      हैं |
ज़ुल्फ़ों  को  झटका कर चल ||

गुन्चा - गुन्चा    खिल   जाए |
हौले   से   मुस्का   कर  चल ||

तुझको   हिम्मत   रब   देगा |
तू   मत  यूँ  घबरा  कर चल ||

जो     बातें    कडुवाहट      दें |
उन सब को  दफ़ना कर चल ||

मैं    हूँ    बेबस  चलने    से  |
अब थोड़ा सुस्ता  कर  चल ||

मेरी    उंगली    में   अपने  |
पल्लू  को उलझा कर चल ||

भोली   भाली   सूरत    का  |
भोलापन दिखला  कर चल ||

बिजली   गिरने   वाली   है |
आँचल को लहरा कर चल ||

रुखसारों    की    लाली   से |
सूरज को झुलसा कर चल ||

‘सैनी ’  तेरा     साथी     है |
लोगों को बतला  कर चल ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी       

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