तेरी उल्फ़त के सिवा मुझको कोई काम नहीं |
तेरी यादों के बिना मुझको कोई काम नहीं ||
रोज़ फटकार मुझे बॉस की सुननी पड़ती |
लगने उसको भी लगा मुझको कोई काम नहीं ||
देखिये कितने लिखे आज मैंने ख़त उनको |
कैसे कहते हो भला मुझको कोई काम नहीं ||
रोज़ चिल्लाता फिरू काम नहीं काम नहीं |
एक मुद्दत से मिला मुझको कोई काम नहीं ||
आज पहलू में तेरे रात गुज़ारूंगा मैं |
साक़िया जाम पिला मुझको कोई काम नहीं ||
देख मुश्किल से मुझे चैन की नींदआयी है |
यार मत मुझको उठा मुझको कोई काम नहीं ||
मैं ख्यालों में तिरे ही तो घिरा बैठा था |
और ‘सैनी ’ने कहा मुझको कोई काम नहीं ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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