Wednesday, 11 July 2012

कोई काम नहीं


तेरी  उल्फ़त  के सिवा मुझको कोई काम नहीं |
तेरी यादों के  बिना मुझको  कोई  काम   नहीं || 

रोज़  फटकार  मुझे   बॉस  की  सुननी  पड़ती |
लगने उसको भी लगा मुझको कोई काम नहीं || 

देखिये कितने लिखे  आज  मैंने  ख़त  उनको |
कैसे कहते हो भला मुझको कोई  काम   नहीं || 

रोज़  चिल्लाता  फिरू  काम  नहीं  काम  नहीं |
एक मुद्दत से मिला मुझको कोई  काम   नहीं || 

आज     पहलू   में   तेरे   रात   गुज़ारूंगा    मैं |
साक़िया जाम पिला मुझको कोई काम   नहीं || 

देख  मुश्किल  से  मुझे  चैन  की  नींदआयी है |
यार मत मुझको उठा मुझको कोई काम नहीं ||  

मैं   ख्यालों  में  तिरे  ही   तो  घिरा   बैठा  था |
और ‘सैनी ’ने  कहा  मुझको  कोई काम नहीं ||  

डा० सुरेन्द्र  सैनी  

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