Tuesday, 10 July 2012

बाहों का हार


यक़ीं  करके  देखो  बहुत  प्यार दूंगा | 
दिल -ओ-जाँ तुम्हारे लिए वार दूंगा ||

सुनोगे न जब तक मिरी  दास्ताँ को |
सदा मैं भी तुमको ये हर  बार  दूंगा ||

सराहोगे   मेरे  तरानों  को  जितना |
क़लम को मैं उतनी ही रफ़्तार दूंगा ||

मुझे  आज़माने की ज़रूरत नहीं  है |
सहारा  मैं   तुमको  लगातार  दूंगा ||

सभी    ख़ाब   पूरे   होंगे   जहाँ   पर |
तुम्हे  वो  रुपहला  सा  संसार  दूंगा ||

तुम्हे एक पल भी ख़ुशी गर मिले तो |
सभी अपनी ख़ुद की ख़ुशी मार दूंगा ||

नहीं दे  सकेगा  तुम्हे ‘सैनी ’ ज़ेवर  |
मगर अपनी  बाहों का मैं हार  दूंगा ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी         

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