यक़ीं करके देखो बहुत प्यार दूंगा |
दिल -ओ-जाँ तुम्हारे लिए वार दूंगा ||
सुनोगे न जब तक मिरी दास्ताँ को |
सदा मैं भी तुमको ये हर बार दूंगा ||
सराहोगे मेरे तरानों को जितना |
क़लम को मैं उतनी ही रफ़्तार दूंगा ||
मुझे आज़माने की ज़रूरत नहीं है |
सहारा मैं तुमको लगातार दूंगा ||
सभी ख़ाब पूरे होंगे जहाँ पर |
तुम्हे वो रुपहला सा संसार दूंगा ||
तुम्हे एक पल भी ख़ुशी गर मिले तो |
सभी अपनी ख़ुद की ख़ुशी मार दूंगा ||
नहीं दे सकेगा तुम्हे ‘सैनी ’ ज़ेवर |
मगर अपनी बाहों का मैं हार दूंगा ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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